आमलकी विवरण (Amalaki Description) मे इसको सामान्य भाषा मे आँवला और भारतीय करौदा (Indian Gooseberry) के नाम से जाना जाता है। यह Phyllanthaceae (Euphorbiaceae) कुल का पर्णपाती पेड़ (Deciduous tree) है। आँवला अपने पोषण और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। जिसके विभिन्न उपयोग है, पारंपरिक चिकित्सा और पाककला से लेकर आधुनिक स्वास्थ्य और सौन्दर्य प्रसाधन तक, जो इसे विश्व स्तर पर अत्यधिक मूल्यवान फल बनाता है।
बनावट: बाह्य पृष्ठ पर छः रेखाए छः खण्डों के द्योतक होती है, भीतर षट्कोण बीज होता है, रेशेदार बनावट, चिकना और पारभासी।
स्वाद: विशेष रूप से खट्टा, कड़वा और कसैला, जिसे अक्सर ताज़ा करने वाला बताया जाता है।
फल मिलने की अवधि: अक्टूबर से अप्रैल तक।
जाति:
वन्य और ग्राम्य भेद से आँवला दो प्रकार का होता है-
वन्य आँवला – आकार मे छोटा, कठिन,अष्ठिल होता है।
ग्राम्य आँवला- आकार मे बड़ा मृदु,और मांसल होता है।
निवास स्थान
Amalaki Ka मूल क्षेत्र:
भारत
वितरण: दक्षिण पूर्व एशिया, चीन और मलेशिया में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
जलवायु: उष्णकटिबंधीय से उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से सूखा, उपजाऊ मिट्टी पसंद करता है।
रस पंचक
रस: लवण रहित पंचरस, (अम्लप्रधान)
गुण: गुरु, रुक्ष, शीत,
विपाक: मधुर
वीर्य: शीत
दोषकर्म :– त्रिदोषशामक। अम्ल से वात, मधुर-शीत से पित्त तथा रुक्ष-कषाय से कफ का शमन करता है। विशेषतः पित्तशामक है।
आमयिक प्रयोग
बाह्य: दाह, पैत्तिक शिर शूल तथा मूत्रावरोध मे इसका लेप लागत हैं। नेत्ररोगों मे इसका स्वरस डालते तथा लगाते हैं। खालित्य और पालित्य रोगों मे आँवले से सिर धोते हैं।
रक्त: हृदयरोग, रक्तपित्त, रक्तविकर,
मूत्र: मूत्रकृच्छ तथा पैत्तिक प्रमेह मे ताजे आँवले का रस पिलाते हैं।
श्वसन: कास, श्वास, यक्ष्मा
त्वचा: कुष्ठ, विसर्प
पाचन: अरुचि, अग्निमांद्य, यकृद्विकर, अम्लपित्त, उदाररोग, विबन्धहर, अर्श।
प्रयोज्यांग :-
फल
मात्रा:-
स्वरस- 10-20 ml;
चूर्ण- 3-6 gm
विशिष्ट योग
चवन्यप्राश, धात्रीलौह, ब्रह्मरसायन, धात्रीरसायन।
पोषण संबंधी जानकारी
विटामिन सी: विटामिन सी से भरपूर आंवला में विटामिन सी की मात्रा बहुत अधिक होती है (संतरे से 20 गुना अधिक), जो सूखने पर भी स्थिर रहती है।
एंटीऑक्सीडेंट: पॉलीफेनोल, फ्लेवोनोइड और टैनिन से भरपूर जो एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदान करते हैं।
खनिज: इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस और विभिन्न अमीनो एसिड शामिल हैं।
औषधीय उपयोग
आयुर्वेद: प्रतिरक्षा बढ़ाने, पाचन में सुधार और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट: इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभावों के लिए जाना जाता है।
मधुमेह प्रबंधन: रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हृदय स्वास्थ्य: कोलेस्ट्रॉल को कम करके और हृदय समारोह में सुधार करके हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
आंवला के 12 अद्भुत और प्रभावी स्वास्थ्य लाभ(Benefits of Amalaki)
उपयोग और लाभ
औषधीय: प्रतिरक्षा को बढ़ाने, पाचन को बेहतर बनाने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
पाककला: ताजा, सुखाया हुआ या जूस, कैंडी, अचार और पारंपरिक व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है।
कॉस्मेटिक: कंडीशनिंग(बालों की देखभाल के उत्पादों में बालों के विकास को बढ़ावा देने और रूसी को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है।) और
एंटी-एजिंग गुणों के कारण बालों और त्वचा की देखभाल के उत्पादों में लोकप्रिय है।
शोध: चल रहे अध्ययन कैंसर के उपचार, लीवर की सुरक्षा और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों में इसके संभावित लाभों की जांच कर रहे हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
आयुर्वेद: अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए आयुर्वेद में पूजनीय है और कई पारंपरिक योगों में एक प्रमुख घटक है।
सांस्कृतिक प्रतीक: विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं में स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतिनिधित्व करता है।